भारतीय मोर की विशेषताएँ
भारतीय मोर के सबसे खास गुण हैं इसका विशाल और रंगीन पंख। नर मोर की पूंछ में नीले, हरे और सुनहरे रंग के सुंदर बिंदु होते हैं, जिन्हें "आई पैटर्न" (Eye Pattern) कहा जाता है। यह पंख करीब 1.5 से 2 मीटर तक फैल सकते हैं। मोर के नृत्य के समय यह पंख फैलाकर अपने आकर्षण का प्रदर्शन करता है, जो मादा मोरों को आकर्षित करता है। मादा मोर (Peahen) साधारण भूरे रंग की होती है और वह अपने बच्चे की देखभाल करती है।
भारतीय मोर का आवास और जीवन शैली
भारतीय मोर भारत के लगभग सभी राज्यों में पाया जाता है, खासकर जंगलों, घास के मैदानों, और कृषि क्षेत्रों में। यह पक्षी भारत के अलावा श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी मिलता है। मोर मुख्य रूप से दिन में सक्रिय रहता है और घास, बीज, कीड़े, फल तथा छोटे जीव-जंतुओं का सेवन करता है।
भारतीय मोर का सांस्कृतिक महत्व
भारतीय संस्कृति में मोर का विशेष स्थान है। इसे सौंदर्य, गरिमा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भारतीय पौराणिक कथाओं में मोर भगवान कृष्ण और कार्तिकेय से जुड़ा हुआ है। कई मंदिरों में मोर को देवताओं का वाहन माना गया है। इसके अलावा, मोर की सुंदरता भारतीय कला, साहित्य और नृत्य में भी अभिव्यक्त होती है।
भारतीय मोर की रक्षा और संरक्षण
हालांकि भारतीय मोर व्यापक रूप से पाया जाता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन, जंगलों की कटाई और अवैध शिकार से इसकी संख्या में कमी आ रही है। भारत सरकार ने भारतीय मोर को संरक्षण देने के लिए कई कदम उठाए हैं। यह पक्षी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित है। कई वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों में मोरों की सुरक्षा की जाती है।
निष्कर्ष
भारतीय मोर न केवल भारत का राष्ट्रीय पक्षी है, बल्कि यह देश की प्राकृतिक विरासत और सांस्कृतिक पहचान का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी रंग-बिरंगी पूंछ और अनोखा नृत्य इसे विश्व में विशिष्ट बनाते हैं। हमें भारतीय मोर के संरक्षण के लिए सतत प्रयास करने चाहिए ताकि यह सुंदर पक्षी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित रहे।