Nilgiri Tahr : भारत की पहाड़ियों का लुप्तप्राय वन्य जीव

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Nilgiri Tahr, जिसे हिंदी में नीलगिरी तहर कहा जाता है, दक्षिण भारत की ऊँची पहाड़ियों का एक खास और दुर्लभ पहाड़ी वन्य जीव है। यह एक तरह का जंगली बकरी प्रजाति (mountain goat) है जो केवल Western Ghats के कुछ हिस्सों में ही पाया जाता है। यह ब्लॉग आपको नीलगिरी तहर के habitatphysical traitspopulation status, और conservation projects in India के बारे में पूरी जानकारी देगा।

Nilgiri Tahr : भारत की पहाड़ियों का लुप्तप्राय वन्य जीव


नीलगिरी तहर कहाँ पाया जाता है? (Nilgiri Tahr Habitat)

Nilgiri Tahr habitat मुख्यतः तमिलनाडु और केरल की ऊँची पर्वत श्रंखलाओं में होता है, खासकर Nilgiri Hills, Anamalai Hills, और Eravikulam National Park में। ये तहर 1200 से 2600 मीटर की ऊँचाई पर पाए जाते हैं और इनका पसंदीदा आवास होता है montane grasslands और चट्टानी इलाके।


शारीरिक बनावट और पहचान (Physical Features of Nilgiri Tahr)

नीलगिरी तहर देखने में जंगली बकरी जैसा होता है, लेकिन इसका शरीर मजबूत और ऊनी होता है। नर तहर के पास बड़ी-बड़ी curved horns होते हैं, जबकि मादा में ये थोड़े छोटे होते हैं। वयस्क नर का वजन लगभग 80-100 किलोग्राम तक होता है। इनकी खास पहचान उनका dark brown coat और सिर के ऊपर सफेद निशान है।


व्यवहार और भोजन (Behavior and Diet)

Nilgiri Tahr diet मुख्यतः शाकाहारी होता है। यह घास, पत्तियाँ, छोटे पौधे और झाड़ियाँ खाता है। ये सामाजिक प्राणी हैं और छोटे झुंडों में रहते हैं जिन्हें herds कहा जाता है। इनका व्यवहार दिन में सक्रिय (diurnal) होता है और वे ज़्यादातर cliff edges या ऊँची घास वाली जगहों पर देखे जाते हैं।


प्रजनन और जीवन चक्र (Reproduction and Life Cycle)

Nilgiri Tahr breeding season आमतौर पर जून से अगस्त के बीच होता है। मादा एक बार में एक ही बच्चे को जन्म देती है। गर्भावस्था लगभग 6 महीने की होती है। बच्चे के जन्म के कुछ ही घंटों में वह चलने लगता है, जो इसे शिकारी से बचने में मदद करता है।


खतरे और संकट (Threats to Nilgiri Tahr)

नीलगिरी तहर की संख्या में गिरावट के पीछे कई वजहें हैं, जैसे:

  • Habitat loss (घास के मैदानों का खेती या भवनों में बदलना)

  • Poaching (अवैध शिकार)

  • Climate change और मानव अतिक्रमण
    इसके अलावा विदेशी घासों जैसे Wattle (Acacia) और Eucalyptus ने इनके प्राकृतिक आवास को नुकसान पहुँचाया है।


संरक्षण की पहलें (Conservation of Nilgiri Tahr)

नीलगिरी तहर भारत की Schedule I प्रजातियों में शामिल है, जो इसे सबसे अधिक संरक्षण देती है। इनकी रक्षा के लिए कई conservation projects चलाए जा रहे हैं जैसे:

  • Nilgiri Tahr Project (Tamil Nadu Government)

  • Eco-restoration in Western Ghats

  • Habitat mapping and monitoring

इन पहलों से Nilgiri Tahr population में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है।


वर्तमान स्थिति और जनसंख्या (Population and IUCN Status)

वर्तमान में नीलगिरी तहर की अनुमानित संख्या लगभग 3000 से 3200 के बीच है। सबसे अधिक संख्या Eravikulam National Park (केरल) में पाई जाती है। IUCN Red List में Nilgiri Tahr को Endangered Species के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।


जैव विविधता में भूमिका (Ecological Role of Nilgiri Tahr)

Nilgiri Tahr montane grasslands ecosystem का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये घास खाकर जंगल के plant balance को बनाए रखते हैं और कई अन्य पक्षियों व कीटों के लिए घर भी बनते हैं। इनका संरक्षण पूरे पर्यावरण की रक्षा के लिए जरूरी है।


रोचक तथ्य (Interesting Facts About Nilgiri Tahr)

  • Nilgiri Tahr को स्थानीय लोग “Varayadu” कहते हैं

  • यह सिर्फ भारत के दक्षिणी पहाड़ों में पाया जाता है – एक endemic species

  • यह दक्षिण भारत का state animal of Tamil Nadu है

  • इनकी दौड़ने और चढ़ने की क्षमता आश्चर्यजनक होती है

  • नर तहर का सींग 40 cm तक लंबा हो सकता है


निष्कर्ष (Conclusion)

Nilgiri Tahr भारत की प्राकृतिक धरोहर का अहम हिस्सा है। इनकी घटती संख्या को बचाना केवल एक जानवर को बचाना नहीं, बल्कि पूरी जैव विविधता की रक्षा करना है। हमें इनके संरक्षण के प्रयासों का समर्थन करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इन अद्भुत जीवों को देख सकें।


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